किसान और चुंनाव: Farmers and Election
चुंनाव के पास आते ही किसानों के लिए योजनाओं की झड़ी लग जाती है लेकिन बड़ा सवाल ये उठता है कि चुंनाव बाद जो भी पार्टी सत्ता की बागड़ोर संभालती है वो इन योजनाओं पे कितना अम्ल कर पाती है,कितना काम कर पाती है?
इसका जबाब आप खुद से सोचिये तो ज़्यादा बेहतर रहेगा।किसान मर रहा है ये बाते हम आज-कल भी विपक्ष के द्वारा सुन रहे है लेकिन यही विपक्ष कल तक सत्ता में था तो उसने किसानों के लिये क्या किया?उसने कुछ ऐसा क्यों नही किया कि किसानों को कर्ज लेने की ज़रुरत ही ना पड़े।उसने ऐसा कुछ इंतेजाम क्यों नही कर दिया की किसान आत्महत्या के लिए मजबूर ना हो या फिर उसने किया तो उसका असर धरातल पर कितना पड़ा आप खुद से सोचिये।
भारतीय किसान खेत में काम करते हुए
पिछली बार कांग्रेस की सरकार लगातर 10 साल तक सत्ता में रही उसके बावजूद उसने क्या किया वो दिख रहा है तो 10 साल के पहले बीच के कुछ साल हटा दे तो यही कांग्रेस सत्ता में रही उस समय किसानों के लिए सरकार ने क्या किया?क्या इसका जबाब किसी के पास है?अगर मैं मान भी लेता हूं कि इस समय की सरकार कुछ नही कर रही है तो फिर आपने हमारे लिए क्या किया कि हम आपके ऊपर फिर से विशवास करे?ये सवाल केवल चुंनाव के वक़्त ही नही बल्कि पूरे साल पूछा जायेगा चाहे पूर्व की सरकार विपक्ष में रहे या फिर सत्ता में।
भारत आज एक युवा देश है अर्थात इस देश में अधिकतर जनसँख्या युवाओं की है।आज भारत सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाला देश है।अभी हाल की घटनाओं की बात करे तो मंदसौर में जो भी ह्रदय विदारक घटना हुआ उसके लिए आप किसे ज़िम्मेदार कहेंगे?मेरे अपने विचार से ऐसा नही लगता कि किसान जो सबको पालनहार है वो कभी भी हिंसा को बढ़ावा देगा।इसके पीछे की राजनीति को भी समझने की ज़रुरत है।
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