कोरोना-:एक वैश्विक लड़ाई।

कोविड 19-:एक वैश्विक लड़ाई।

परिचय-: कोविड-19 को आप कोरोना वायरस परिवार का सबसे नया सदस्य भी कह सकते है।कोविड 19 कोरोना परिवार से आने वाले तमाम वायरसो में अब तक का सबसे शक्तिशाली वायरस है।कोविड अँग्रेजी भाषा का एक शब्द है जिसका पूरा मतलब होता है 'Corona Viruses Disease'।यह वायरस सबसे पहले 2019 में पाया गया था इसीलिए इसके नाम के आगे 19 लगा दिया जाता है और इसे हम कोविड-19 लिखते है।कोरोना कोई एक बीमारी का नाम नही बल्कि हर एक उस बीमारी को हम कोरोना बोलते है जो पक्षियों के द्वारा मनुष्य के शरीर में आता है।कोविड-19 को लेकर भी ये अंदेशा जताया जा रहा है कि यह चमगादड़ों से निकल कर इंसानों तक फैला है।कोविड-19 वायरस सबसे पहले दिसंबर महीने में चीन के वुहान शहर में पाया गया था,हालांकि कुछ रिपोर्ट्स का ये भी कहना है कि इस वायरस की पहचान नवंबर महीने में ही कर ली गयी थी।देखते ही देखते यह वायरस वुहान से निकल कर पूरी दुनिया मे फैल गया।
क्या है कोविड-19 के लक्षण-: सुखी खाँसी,बुखार,छींक का आना और साँस लेने में दिक्कत का होना इसके मुख्य लक्षण है।हालांकि कई बार ये देखा गया है कि इसके लक्षण सामान्य से हट कर भी होते है।वैज्ञानिकों का मानना है कि कई बार इसके लक्षण सामने आने में 20 दिन तक का लंबा समय भी लग सकता है।
मानव शरीर को कैसे नुकसान पहुँचाता है कोविड-19-: कोविड-19 सीधे नाक,आँख या मुँह के रास्ते इंसान के शरीर मे पहुँचता है और इंसान के श्वसन प्रणाली पर हमला करता है।यह फेफड़ो में पहुँच कर उसे नुकसान पहुँचता है जिसके कारण फेफड़ो में गाढ़ा बलगम(Mucus)भरने लगता है और यही इंसान के मौत का कारण बनता है।गाढ़ा बलगम भरने के कारण इंसान को साँस लेने में दिक्कत होने लगती है और अंत मे उसका श्वसन प्रणाली अपना कार्य करना बंद कर देता है।
इतनी तेजी से कैसे फैलता है कोविड-19-: कोविड-19 एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है जिसके कारण इसके रोकना बहुत मुश्किल हो जाता है।अगर कोई व्यक्ति कोविड-19 वायरस से पीड़ित है और वो अपने दोस्तों अथवा परिजनों के साथ अनजाने में समय बिताता है तो यह संभव है कि वो उन सबको इससे पीड़ित कर देगा।कई अनुसंधानों में यह बात सामने आयी है कि एक व्यक्ति जो इस वायरस के चपेट में है वह इसे सैकड़ो इंसानों तक पहुँचा सकता है।आप इसे अतिसंवेदनशील वायरस के तौर पर भी देख सकते है।अगर कोई संक्रमित व्यक्ति छिकता है और आप उससे कुछ दूरी पर खड़े है तो भी आपको यह संक्रमण हो सकता है इसीलिए हमेशा छीकते समय मुँह को ढकने  की सलाह दी जा रही है।दरअसल छीकते समय कुछ वायरस मुँह से निकले पानी के बूंदों के साथ हवा में तैरने लगते है और किसी भी मानव शरीर के संपर्क में आते ही सक्रिय हो जाते है।अनुसंधानों में कोविड-19 के अप्रत्यक्ष रूप से फैलने की भी बात सामने आयी है।वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति किसी जगह को या फिर किसी सामान को छूता है और कुछ समय के अंदर अगर आप भी उस जगह या सामान को छूते है और इसके बाद आपका हाथ आपके आँख, मुँह या नाक के सम्पर्क में आता है तो आपके ऊपर भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।यानी कि इसके इतने तेजी से फैलने के पीछे का कारण इसका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह से फैलना ही है।
क्या है बचाव के उपाय-: कोविड-19 अर्थात नोवेल कोरोना का कोई भी वैक्सीन या दवा उपलब्ध नही है।इससे बचने का एकमात्र विकल्प है जागरूकता।भीड़-भाड़ से बचना।चेहरे को मास्क से ढक कर रखना।चेहरे के संपर्क में आने से पहले हाथों को अच्छे तरीके से किसी हैंडवॉश से धोना।हैंड सेनेटाइजर का इस्तेमाल करना।अगर हम ये सारी सावधानियां बरते तो कोविड-19 को हराया जा सकता है।हमे खास तौर पर वृद्ध और बच्चो पर ध्यान देना होगा।
सबसे प्रभावित देश-: कोरोना ने सबसे पहले अपना असर चीन के वुहान में दिखाया जहाँ हज़ारो लोग इसकी चपेट में आने के कारण मारे गए।चीन इससे बुरी तरह प्रभावित हुआ और उसके लगभग 3000 से ज़्यादा नागरिकों की मृत्यु हो गई।चीन के बाद कोविड-19 का ईटली में  इससे भी खतरनाक तरीके से असर दिखा और वहाँ अब तक 10000 से ज़्यादा लोग मारे गए।इसी तरह से स्पेन और अमेरिका में भी इसका खौफनाक रूप देखने को मिला जहाँ हज़ारो लोग काल की गाल में समा गए।
चौकाने वाली बात ये है कि जिस यूरोपियन देशों में कोरोना ने कहर बरपाया है वो दुनिया की सबसे बेहतरीन चिकित्सा सुविधा वाली देशों में शुमार है।अमेरिका जिसे विश्व की महाशक्ति कहा जाता है वो भी इसके आगे नतमस्तक हो गया।भारत मे भी इसका व्यापक असर देखने को मिल रहा है।बाजार और कारखाने बंद पड़े  है।लोग खौफ़ के साये में जीने को मजबूर है।पूरी दुनिया के लगभग 176 से ज़्यादा देशों में कोरोना ने अब तक मौजूदगी दर्ज करा दी है।किसी भी महामारी से होने वाली मौतों का ये आंकड़ा पिछले कई सालों के रिकॉर्ड तोड़ चुका है।दुनिया के कई सारे देश अपनी सेना की सहायता से अपने नागरिकों का अंतिम सरकार करवा रहे है।स्थिति कितनी भयावह है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते है कि ईटली जो कि स्वास्थ्य सुविधा में दुनिया के अग्रणी देशों में गिना जाता है वहाँ भी 1-1 दिन में 1000 से ज़्यादा लोगो की मौत हो रही है।अस्पताल कम पड़ गए है।कई सारे वैज्ञानिकों,सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं का कहना है कि मौत का आंकड़ा लाखों में पहुँच सकता है।भारत के लिए स्थिति और चिंताजनक है क्यो की अन्य यूरोपियन देशों की तुलना में यहाँ जनसंख्या घनत्व बहुत ज़्यादा है।
आधी आबादी को कोरोना ने किया कैद-: भारत समेत विश्व के ज़्यादातर देश इस समय लॉकडाउन की समस्या से जूझ रहे है।पूरी की पूरी आबादी अपने घरों में कैद रहने को मजबूर है।इस वायरस के फैलाव को रोकने का फिलहाल कोई दूसरा तरीका भी नही है।भारत समेत सभी देशों में मेडिकल इक्विपमेंट्स की भारी कमी महसूस की जा रही है।वही कोरोना का केंद्र रहा वुहान अब लगभग-लगभग इस त्रासदी से बाहर आ गया है।चीन ने अब अपने शहरो में लोगो को थोड़ी-बहुत छूट देना भी शुरू कर दिया है।
दुनिया और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका नकारात्मक प्रभाव-: भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले कुछ समय से ही वैश्विक मंदी की मार को झेल रहा है।भारत की विकास दर पिछले कुछ सालों के सबसे निचले स्तर पर कोरोना से होने वाले प्रभाव के पहले ही पहुँच चुका था।कोरोना के आने से पूर्व ही भारतीय बाजार आर्थिक मंदी की मार से जूझ रहा था।बैंकों की हालत भी किसी से छुपी नहीं है।अब हालाँकि कोरोना के चलते पूरा व्यापार ठप है तो इसका व्यापक असर निश्चित रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।भारत सरकार फिलहाल कोरोना से निपटने के लिए भरपूर पैसा खर्च कर रही है साथ ही अपने नागरिकों के हित में मुफ्त राशन भी मुहैया करा रही है।तमाम राज्य सरकारों ने पेंशन और मजदूरों को उनके खातों में रोजमर्रा के कार्यो के लिए रुपया भेज रही है।सरकार का खजाना यहाँ भी खाली हो रहा है।हालाँकि मौजूदा स्थिति में सरकार इस सहायता को रोक भी नही सकती।कुल मिलाकर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह सबसे कठिन समय है और आगे इससे भी ज़्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था-: अमेरिकी अर्थव्यवस्था भी पिछले कुछ सालों के सबसे नाजुक दौर से गुजर रही है।इसके साथ ही अब कोरोना का असर उसके ऊपर पड़ना भी शुरू हो गया है।हालाँकि स्थिति इतनी बिगड़ जाने के बावजूद भी ट्रम्प सरकार ने अर्थव्यवस्था का हवाला देकर बाजारों को सम्पूर्ण रूप से अब तक बंद नही किया है।अमेरिका के लिए भी आने वाला वक़्त बहुत बड़ी चुनौती खड़ा कर सकता है।ये चुनौती दुनिया मे उसके वर्ल्ड लीडर वाले भूमिका के साथ-साथ उसकी अर्थव्यवस्था के लिए भी होगी।
दो महाशक्तियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर-: अमेरिका और चीन के बीच सब कुछ ठीक नही चला रहा है ये बाते बड़े-बड़े राजनैतिक विशेषज्ञ बहुत पहले से कहते चले आ रहे है लेकिन कोरोना के आने के बाद जिस तरीके से दोनों खुल के एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे उससे सारी चीजें साफ-साफ दिखने लगी है।अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने इस वायरस को चीनी वायरस कहा तो चीन ने इसका आरोप अमेरिका के ऊपर डाल दिया।चीन ने कहा है कि ये वायरस अमेरिकी सेना ने उसके देश मे लाया है।हालाँकि अब ज़्यादातर देश दबी जुबान से ही सही लेकिन चीन को काफी हद तक इसका दोषी मान रहे है।वही कुछ विशेषज्ञ इसे चीन की एक चाल बता रहे है जो उसने वर्ल्ड लीडर बनने और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य से किया है।ये बात तो पूरी दुनिया जानती ही है कि चीन ने किस तरीके से पहले बीमारी वाली बात छुपाई।बाद में इसके बारे में बोलने वाले अपने ही नागरिकों को चीनी सरकार ने रहस्यमय तरीके से गायब भी करवा दिया।वही इसकी सबसे पहले जानकारी सार्वजनिक करने वाले डॉक्टर खुद कोरोना की चपेट में आ के मारे गए।
डब्लूएचओ पर भी उठ रहे है सवाल-: डब्लूएचओ के अध्यक्ष डॉक्टर टैड्रोस ऐडरेनॉम पर भी सवाल उठाए जा रहे है।दरअसल कहा जा रहा है कि डब्लूएचओ को जब चीन ने ये बात बता दी थी कि ये बीमारी एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल रहा है उसके बावजूद डॉक्टर टैड्रोस ने ट्वीट कर के ये लिखा कि ये एक इंसान से दूसरे इंसान में ट्रान्सफर नही होती।जब कुछ देश अपने इंटरनेशनल फ्लाइट्स पर रोक लगा रहे थे या फिर एयरपोर्ट्स पर स्क्रीनिंग की व्यवस्था कर रहे थे फिर भी उन्होंने कहा कि ये सिर्फ पैनिक करने के लिए किया जा रहा है।ये सारी बाते जनवरी महीने की है जब वुहान में कोरोना ने महामारी जैसी स्थिति पैदा कर दी थी।जनवरी के अंत तक डब्लूएचओ ने स्थिति की गंभीरता को समझा लेकिन तब तक मामला हाथ से निकल चुका था।वुहान शहर के मेयर के अनुसार इस बीच लगभग 50 लाख लोग पूरी दुनिया से वुहान आये और फिर वापस भी गए।अब ये बात भी होने लगी है कि जब 2017 में डब्लूएचओ के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हो रहा था तो चीन ने डॉक्टर टैड्रोस की मदद की और इसी के बदौलत आज वो डब्लूएचओ जैसी प्रतिष्ठित संस्था के मुखिया बने हुए है।
वैक्सीन बनने में कितना समय लग सकता है-: किसी भी नई बीमारी के लिए टीका विकसित होने में कितना समय लगेगा इसके बारे में कोई भी सटीक अंदाजा नही लगा सकता लेकिन कहा जा रहा है कि दुनियाभर के वैज्ञानिकों की टीम इसके लिए दिन-रात मेहनत कर रही है।बीबीसी के अनुसार जब उनके रिपोर्टर ने वैज्ञानिकों के एक टीम से इस बारे में बात की तो उन्होंने अनुमान लगाया कि एक साल से डेढ़ साल में यह टीका बाजार में उपलब्ध हो सकता है।हालांकि वो भी इसके बारे में कुछ साफ-साफ नही बोल रहे थे।इस पूरी रिपोर्ट को आप बीबीसी हिंदी के यूट्यूब चैनल पर भी देख सकते है।

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