आम चुनाव का सेमीफाइनल-2018 से 2019 का रास्ता
भारत के दो मुख्य राष्ट्रीय राजनीतिक दल
2019 के आम चुनाव से पहले भारत में मध्यप्रदेश,राजस्थान और छत्तीसगढ़ की विधानसभा चुनाव को लेकर माहौल में गर्मी साफ़ तौर पे देखा जा सकता है।भाजपा तीनो राज्यो में फिर से सत्ता में आने का सपना संजोये हुए है तो काँग्रेस को अपना वनवास खत्म होने की उम्मीद है।सरकार के लिए सवर्णों की नाराजगी भारी भी पड़ सकती है वही एससी/एसटी एक्ट के विरोध के दौरान मध्यप्रदेश इसका केंद्र रहा था और विरोध का व्यापक असर देखने को मिला था।कुल मिलाकर चुंनाव एकतरफा नही होने वाला है।दोनों मुख्य पार्टियो में कांटे की टक्कर है।
मध्यप्रदेश के शिवराज सरकार के लिए ये राहत भरी खबर हो सकती है कि तमाम राष्ट्रीय एजेंसीयो के सर्वे में शिवराज सिंह चौहान अभी भी मुख्यमंत्री के लिए सबसे लोकप्रिय चेहरा बने हुए है।इनके मुकाबले में कोई आता नही दिख रहा लेकिन सवर्णों की नाराजगी का अगर बरकरार रह जाता है तो फिर भाजपा को लेने के देने पड़ सकते है।वही काँग्रेस इन मुद्दों पे चुप्पी साधे हुए है क्यों की उसे पता है कि अगर ऐसा होता है तो सीधे तौर पे उसे फायदा होगा।भाजपा को भारी नुकसान भी पहुँच सकता है क्यों की ऊँची जातिया शुरू से ही भाजपा के पक्ष में वोट करती आई है और ये बात भाजपा को भी पता है इसीलिए भाजपा के तरफ से डैमेज कंट्रोल करने का भी पूरा प्रयास हो रहा है।हालांकि सब के बीच भाजपा के सबसे बड़े चेहरे नरेंद्र मोदी ने खुद ही कमान संभाल ली है और तीनों राज्यो में पार्टी प्रचार का जिम्मा भी उठा लिया है।
राजस्थान की बात करे तो यहाँ मौजूदा भाजपा की राजे सरकार कुछ असहज ही दिख रही है।चूंकि भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं को भी यहाँ से नकारात्मक परिणाम आने का अंदेशा हो चूका है तभी तो भाजपा नरेंद्र मोदी से अकेले राजस्थान में 20 रैलियां करवाने का संकल्प ले चुकी है।राष्ट्रीय समाचार चैनलों के मुताबिक भाजपा राजस्थान में अपनी सरकार खोती हुई दिख रही है और यही वजह है कि भाजपा को अब केवल नरेंद्र मोदी से ही कुछ उम्मीद है।ये बात तमाम पार्टियो के नेताओ के साथ-साथ आम जनमानस भी भलीभाँति जानती है कि प्रधानमंत्री के पास किसी भी हवा को अपने पक्ष में करने की बेजोड़ कला है और वो इसके सबसे बड़े खिलाडी है।भाजपा को इससे पूरा उम्मीद है शायद इसी लिए काँग्रेस मोदी पे राफेल सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगा के उनके प्रभाव को कम करना चाह रही है लेकिन मेरे व्यक्तिगत विचार से प्रधानमन्त्री पे लगाये जाने वाले आरोपो से काँग्रेस को फायदे के बजाय नुकसान होगा।
।प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ एक मुलाक़ात के दौरान।
अब बात रमन सरकार की करे तो वहाँ की लड़ाई त्रिकोणीय होने की उम्मीद है लेकिन भाजपा के जीतने के कयास लगाये जा रहे हैं।रमन सिंह की छवि अभी भी बढ़िया शाषक के रूप में देखा जा रहा है।खैर जो भी हो लेकिन इन चुनावों से आने वाले आम चुनावों के बारे में बहुत कुछ जानने को मिल जायेगा।अगर भाजपा हारती है तो विपक्ष के आत्मविश्वास में साफ़ तौर पे बढ़ोतरी होगी।वही भाजपा के कार्यकर्त्ता ज़रूर निराश होंगे।
योगी आदित्यनाथ
कुल मिलाकर अभी भी विपक्ष के पास मोदी के कद का नेता नही हो पाया है जो सीधे तौर पे प्रधानमंत्री को चुनौती दे सके।भाजपा के पास अब योगी आदित्यनाथ के रूप में एक नया हथियार और मिल गया है जिसका फायदा कर्नाटक के चुंनाव से लेकर मणिपुर और फिर गुजरात चुनाव में आप सब को देखने को मिला।वही राजस्थान चुंनाव में भी भाजपा योगी आदित्यनाथ को मैदान में उतार चुकी है।राजस्थान में नाथ संप्रदाय के बहुत बड़े संख्या में अनुयाई है जिसका फायदा भाजपा को होगा वही योगी की पहचान एक साफ़ छबि वाले मजबूत राजनेता की है जिसका असर चुंनाव में ज़रूर पड़ेगा।
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