Journey of Patliputra to Patna: History

आज का पटना इतिहास में पाटलिपुत्र के नाम से दर्ज है।आज बात करेंगे उसी पटना यानी की पाटलिपुत्र के इतिहास की।हज़ारो साल पहले अजातशत्रु से शुरू होकर इसका इतिहास ना जाने किस-किस घटनाओं का साक्षी बना।अजातशत्रु बिम्बिसार का लड़का था।अजातशत्रु अपने समय का बहुत ही वीर और क्रूर राजा था।उसने अपने पिता बिम्बिसार को बंदी बना कर राज्य की सत्ता हासिल की।जब वह राजा बना तब उसका राज्य सिर्फ गंगा के एक तरफ ही था लेकिन उसने पास के अन्य राज्यो के ऊपर आक्रमण कर के अपने राज्य में मिलाना शुरू किया।धीरे-धीरे वह पूरे 36 राज्यो को जीत चूका था।उसने अपनी नई राजधानी गंगा किनारे पाटलिग्राम को बनाया जिसे नया नाम पाटलिपुत्र दिया गया।यही पाटलिपुत्र शहर आज पटना के नाम से अस्तित्व में है।जब मगध राज्य का बहुत विस्तार हुआ उसी समय पाटलिपुत्र शहर दुनिया का सबसे बड़ा शहर बन गया।अजातशत्रु हरियंक वंश के राजा था।

इसके 47 साल बाद पाटलिपुत्र पर शिशुनाग वंश का राज्य हुआ जो करीब 70 साल तक चला।उसके बाद आया नंदवंश।नंदवंश के आखरी राजा का नाम धनानंद था और उस दौर में पाटलिपुत्र से समृद्ध शहर पूरी दुनिया में कोई नही था लेकिन धनानंद के राज्य में पत्थर तक पर टैक्स लगाया गया और जनता पे बेमान अत्याचार किया गया।कहां जाता है कि उसी दौर में तक्षशीला के एक प्रसिद्ध विद्वान भी थे जिनका नाम विश्वगोप बताया जाता है और यही विद्वान् चाणक्य के नाम से प्रसिद्ध हुआ जो धनानंद के हाथों अपमानित हुआ था और उसने नंदवंश के विनाश की कसम खाई थी।
इसके बाद चंद्रगुप्त मौर्या का शाशनकाल शुरू हुआ जो कई बार के प्रयास के बाद पाटलिपुत्र को जीतने में कामयाब हुआ।चाणक्य ने टुकड़ो में बटे देश को जोड़ा।मौर्यो के राज्य के दौरान ही पहली बार शिक्षा देख कर लोगो को पद मिलने लगा।चाणक्य ने इसी पाटलिपुत्र के लिए आदर्श राज्य का संविधान लिखा।यह उस समय के लिए अनोखी बात थी।चंद्रगुप्त जब तक राजा बना तब तक Alexander की मृत्यु हो चुकी थी।उस समय मगध साम्राज्य विशाल था।ये अखंड भारत की तस्वीर थी जिसकी सीमा अफगानिस्तान तक थी।
अशोक का साम्राज्य

इसके बाद बिंदुसार राजा बना और इसके बाद बिंदुसार का लड़का अशोक राजा बना।अशोक बहुत ही अत्याचारी राजा था।मगध के पास ही एक राज्य था कलिंग जिसे ना ही अशोक के पिता और ना ही उसके दादा कभी जीत पाये थे।इसने कलिंग पे आक्रमण किया।मगध साम्राज्य के सामने कलिंग की कोई अवकात नही थी।अशोक की सेना ने अनगिनत लोगो को मौत के घाट उतारा,जम के लूट-पाट मचाई।कहां जाता है कि ऐसा कत्लेआम मचा की पास में बह रही दया नदी खून से लाल हो गयी लेकिन इसी युद्ध ने एक नए अशोक का निर्माण किया जो अब शांति का पक्षधर था।जिसे अब अशोक महान बोला जाने लगा।इस युद्ध के बाद अशोक ने कभी कोई आक्रमण नही किया।वह बौद्ध धर्म के अनुयायी हो गए।इसी मगध के आर्यभट्ट ने विशव को शून्य का ज्ञान दिया।इसी बिहार की धरती पर अजातशत्रु के राज्य के दौरान बुद्ध और भगवान महावीर साथ-साथ ज्ञान बाँट रहे थे।इसी धरती पर महाकवि कालिदास और कामसूत्र के रचयिता महर्षि  वात्स्यायन का जन्म हुआ,लेकिन मध्यकाल आते-आते पाटलिपुत्र का गौरव धुंधला पड़ने लगा।मुहम्मद गौरी ने एक-एक कर सभी राज्यो पे फतह करने लगा।धीरे-धीरे पाटलिपुत्र भी दिल्ली सल्तनत में समा गया और यही पाटलिपुत्र का बुरा दौर शुरू हुआ।
1540 में जब शेरशाह शुरी राजा बना तब बिहार की अहमियत फिर बढ़ी और यही वो समय था जब पाटलिपुत्र को नया नाम पटना के रूप में मिला।तब से लेकर आज तक पटना इसी उठापटक के बीच अपने को संजोए हुए है।
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