सपा-बसपा गठबंधन VS मोदी-योगी

उत्तर प्रदेश के दो बड़े राजनीतिक दल जो कभी एक-दूसरे को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानते थे आज एक साथ खड़े है।यहाँ बात सपा-बसपा का हो रहा है अगर आप ऐसा सोच रहे है तो ये पूरी तरह सच नही है क्यों की सपा तो वो था जिसमे मुलायम सिंह यादव थे,जिसमे नेताजी का फरमान सर्वमान्य होता था।आज तो एक नया सपा खड़ा है जिसके मुखिया अखिलेश यादव है।अखिलेश यादव ही पार्टी के सर्वमान्य है और गठबंधन भी इस नये वाले सपा का बसपा से हुआ है या फिर ये कहे की अखिलेश का मायावती से हुआ है।
फिलहाल तो गठबंधन कुल दो ही पार्टी का हुआ है शायद बाद में अजित सिंह की पार्टी भी साथ हो जाये लेकिन बिना काँग्रेस क्या लोकसभा के रण में महागठबंधन हो सकता है?ये सवाल बार-बार मन में उठ रहा है।वही काँग्रेस ने दो दिन पहले प्रेस कांफ्रेंस बुला के ये तक कह दिया की भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पे केवल काँग्रेस ही टक्कर दे सकती है और ये बात लगभग सच भी है।शायद उपचुनाव में मिले जीत से दोनों पार्टियों का उत्साह बहुत बढ़ा हुआ है।खैर हमें इन सब बातों से क्या करना।
                  लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान


मुझे लगता है कि अब इन दोनों के पास सबसे बड़ी चुनौती होगी अपने ही नेताओ को मना के रख पाना।ये बात तो सौ फ़ीसदी सच है कि जिस सीट पे सपा अपना उम्मीदवार उतारेगी उस सीट पे जो बसपा का बड़ा नेता होगा वो ज़रूर नाराज होगा ये हमेशा नही होता लेकिन अक्सर देखने को मिलता है और इसी का फायदा विरोधी दल को मिलता है और यहाँ फायदा साफ़ तौर पे भाजपा को मिलेगा।हालांकि गठबंधन के बाद भाजपा खेमे की भी बेचैनी बढ़ गयी है जो साफ़ तौर पे देखा जा सकता है इसके बावजूद भाजपा के नेता इसे जाहिर नही कर रहे।शायद उनको योगी आदित्यनाथ की छवि जो एक मज़बूत और ईमानदार नेता की है इसपे भरोसा है और कुछ तो मोदी जी के भरोसे बैठे है।कुल मिलाकर लड़ाई रोमांचक होने वाली है।आगे देखने में और मज़ा आने वाला है।
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