डार्क हॉर्स-एक अनकही दास्तां/पुस्तक समीक्षा

            "पुस्तक समीक्षा"
'डार्क हॉर्स-एक अनकही दास्तां'
  • लेखक-नीलोत्पल मृणाल
  • पुरुस्कार-साहित्य अकादमी युवा पुरुस्कार
  • दैनिक जागरण-नील्सन बुक्सकैन बेस्ट सेलर्स-(फिक्शन)2019,जुलाई-सिंतबर


मोहित कुमार सिंह
8 अप्रैल 2020
ये पुस्तक हिंदी पट्टी के छात्रों को बेहद पसंद आ सकती है क्यो की इसमें विशेष रूप से इनके संघर्ष की दास्तां सुनाई गई है।अगर आप सत्य व्यास के उपन्यासों से परिचित है तो पात्रों की भाषा वही है।लेखक ने पुस्तक में मुखर्जी नगर के छात्र जीवन को हूबहू उतारने का प्रयास किया है और काफी हद तक सफल भी रहा है।अगर आप दिल्ली दरबार,बनारस टॉकीज,बागी बलिया जैसे उपन्यासों को पढ़ चुके है तो आपको ज़्यादा कुछ नया नही लगने वाला है।हालांकि लोक सेवा आयोग के परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के दिल को छू लेने में सफल हो सकता है।
ये पुस्तक बिहार के भागलपुर से शुरू होकर दिल्ली के मुखर्जी नगर में पहुँचती है।उपन्यास के सारे पात्र पूर्वांचल के ही है इसीलिए इसकी भाषा काफ़ी हद तक बनारस के ठेठपन और अखड़पन का एहसास कराती है।'इ रयवा को क्या हो गया अचानक।अभी तो परमाणु रियेक्ट जैसा गर्म था।अचानक साइबेरिया का बर्फ कैसे हो गया?'-अपने इस तरह के लोकलुभावन भाषा के जरिये इसके पात्र एक अलग प्रभाव छोड़ने में कामयाब होते है।पात्रों को उनकी अपनी भाषा मे ही लेखक ने प्रस्तुत किया है जो इस उपन्यास को अलग ही पहचान देती है।जब किसी विद्यार्थी को बार-बार असफलता हासिल हो रही हो तब उसकी मनोदशा कैसी रहती है,गाँव के लोगो के ताने और घर की आर्थिक स्थिति इन सारी चीजों से वो कैसे बाहर आता है,इन सबको उपन्यास में बख़ूबी प्रस्तुत किया गया है।पुस्तक के कुछ पात्रों को बेहद संजीदा तो कुछ को बिल्कुल बेफिक्र दिखाया गया है।मुखर्जी नगर में कोचिंग संस्थानों के माया जाल को भी बहुत ही लाजवाब ढंग से उपन्यास में ढाला गया है।
कुल मिलाकर युवा लेखकों की सूची में नीलोत्पल मृणाल का नाम इस पुस्तक की बदौलत काफ़ी उपर आ गया है।साहित्य अकादमी का पुरस्कार इस दावे को और मजबूत बनाता है।पुस्तक की भाषा हिंदी साहित्य जगत के परंपरागत साहित्यिक कृतियों से काफी आसान और पाठकों को अपने तरफ आकर्षित करने वाला है।2019 में जब दैनिक जागरण-नील्सन बुक्सकैन के बेस्ट सेलर्स की घोषणा हुई तब यह पुस्तक जुलाई-सिंतबर तिमाही के कथा श्रेणी(फिक्शन) में शीर्ष पे जगह बनाने में कामयाब हुआ था।बाद में लेखक और दैनिक जागरण के कुछ आपसी विवाद के कारण दैनिक जागरण ने इसे अपने बेस्ट सेलर्स की लिस्ट में फिर शामिल नही करने की बात कही थी जिसपर काफी विवाद भी गहराया था।अब तक इस पुस्तक की लगभग लाखों प्रति बिक चुकी है जो इसकी लोकप्रियता बताने के लिए काफी है।

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