भारत और नेपाल

नेपाल और भारत के बीच जो कुछ चल रहा है वो बस एक प्रयोजित योजना है।आप बस सोशल मीडिया पर अपने संयम को बरकरार रखे।ग़ुस्से में कुछ भी गलत ना लिखे जिससे नेपालियों को तकलीफ़ हो क्यो की ये सिर्फ और सिर्फ कम्युनिस्टों द्वारा तय प्रोपेगेंडा का एक हिस्सा है।नेपाल कभी हमसे अलग था ही नही ना अब है।नेपाल और नेपाल के लोग हमेशा से हमारे अपने थे और अपने ही रहेंगे।हमारे देश की सुरक्षा से लेकर ना जाने हमारे कितने सांस्कृतिक विरासत का नेपाल सदियों से संरक्षण करता रहा है।आप नेपाल के प्रधानमंत्री पर गौर करिए।वे वही शर्मा जी है जो वामपंथ का झण्डा ले कर पूरे नेपाल को अपने पैरों तले रौंदते फिरते है और वामपंथ चाहें अपनो का सगा हो या ना हो लेकिन चीन का सगा ज़रूर रहता है।आप इन्तेजार कीजिये नेपाल में सरकार परिवर्तन का।आप इन्तेजार कीजिये नेपाल में किसी दक्षिणपंथी पार्टी के सत्ता में आने का औऱ अगर नेपाल पर ज़्यादा गुस्सा आ रहा हो तो गोरखा की कुर्बानियों को गूगल पर जा के पढ़ लीजिए आपका गुस्सा शांत हो जाएगा।

आप याद रखिये की ये वही केपी ओली शर्मा है जो नेपाल के हिन्दू राष्ट्र वाले सवाल पर ऐसे मुँह बनाते है जैसे किसी ने इनका जीना दूभर कर दिया हो।नेपाल के लिए भारत ने जितना किया है शायद ही कभी चीन या कोई और वामपंथ समर्थित देश कर पाए और नेपाल के वीरों ने भी भारत के लिए वो सब कुछ नौछावर किया है जो शायद ही कभी वामपंथी अपने देश के लिए भी करे।आज नेपाल की राजनीति को सहारा बना कर नेपाल और भारत के आम-जन के बीच खाई पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है।इसे हम दोनों देशों के नागरिकों को समझना होगा।सबसे बड़ी बात ये है कि सोशल मीडिया के जरिए एक ऐसा माहौल तैयार करने की कोसिस हो रही है जिससे भारत के लोगो को लगे कि नेपाली हमसे नफ़रत करते है औऱ नेपाल के आम नागरिकों को लगे कि भारतीय उनसे नफ़रत करते है।आप आगे-आगे देखिएगा यही वामपंथ भारत मे नेपाल विरोधी नारे लगाएगा।नेपाल के बारे में अनाप-शनाप बकेगा औऱ आम जनता के बीच नेपाल विरोधी जहर को घोलने का काम करेगा।मैंने ट्विटर पर देखा कि कई वामपंथी लिख रहे है कि नेपाल भी अब भारत को आँखे दिखा रहा है।नेपाल के साथ ऐसा करना चाहियें।नेपाल से सारे रिश्ते समाप्त कर देने चाहिए।नेपाल के तरफ़ से भी कुछ वामपंथी ठीक यही बात भारत के विरोध में लिख रहे है लेकिन आप इस खेल को समझने का प्रयास कीजिये।आप इस बात को भी समझिए कि वामपंथ जहाँ-जहाँ मजबूत हुआ है वहाँ लोकतंत्र का क्या हश्र हुआ है और नेपाल आज उसी दौर से गुजर रहा है।वहाँ वामपंथ नामक कीड़ा फैल चुका और अब विष उगलने का काम भी करने लगा है।हमे बस इन सबके बीच अपने आप को संतुलन में रखना है और इस विष से नेपाल-भारत के रिश्ते को बचाना है।उचित समय का इंतजार करना है और अपने सांस्कृतिक आदान-प्रदान को पुराने उत्साह के साथ ही जीवित रखना है।भारत मे पढ़ रहे नेपाली छात्रों एवं भारत मे काम कर रहे नेपाली नागरिकों से किसी प्रकार का भेद-भाव नही करना है।
आधुनिक हिंदी के सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक कुमार विश्वास ने एक बार कहा था कि हिमालय से निकल कर असंख्य नदियाँ भारत के खेतों को सींचती है और भारतीयों की प्यास बुझाती है मतलब भारत के रगों में नेपाल का पानी बहता है।हमे भी इसका ध्यान रखना होगा कि हम कोई भी ऐसा बयान अपने फेसबुक या फ़िर ट्विटर के माध्यम से ना दे जिससे भारत और नेपाल के रिश्ते पर नकारात्मक असर पड़े।

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