बिहार चुनाव और अनंत सिंह!

बिहार में फिर बहार आने वाला है।मेरा मतलब चुनाव आने वाला है और इसी बहार में हर बार की भाँति बिहार का बहुत ही चर्चित चेहरा रहने वाला है अनंत सिंह।अब बाहुबली बनना आसान है लेकिन इसके दम पे विधायक या फिर सांसद बन जाना ये मुझे थोड़ा अटपटा लगता है।आप खुद सोचिये कोई गुंडा 1 या 2 गाँव को डरा सकता है लेकिन पूरे विधानसभा को या फिर लोकसभा को डरा के वोट लेना इतना आसान नही है वो भी आज के दौर में।मेरे कहने का मतलब है कि उसमें कुछ अच्छाई और बुराई दोनों होती है जो उसे दुनिया की नजर में बाहुबली तो अपने क्षेत्र में जनता का प्रिय बनाती है।

मैं आज बाहुबली विधायक अनंत सिंह की बात करूँगा।एक दिन मैं लल्लनटॉप के यूट्यूब चैनल पे अपलोड एक वीडियो देख रहा था उसमें बाढ़ इलाके के किसी गाँव मे लोगों से बात कर रहे थे लल्लनटॉप वाले द्विवेदी जी।आपको बताते चले कि अनंत सिंह बिहार में छोटे सरकार के नाम से भी जाने जाते है।लोग कह रहे थे कि छोटे सरकार के यहाँ चाहे आप किसी भी समस्या के निवारण के लिए जाए वहाँ से खाली हाथ नही लौटना पड़ता।उनको जो भी कहना होता है मुँह पे बोल देते है कि काम होगा या नही।जनता को दौड़ा के परेशान करने वाला काम नही करते।

कुछ लोग तो मीडिया के सामने ये सब भी बताते है कि जब किसी गरीब के लड़की की शादी पड़ती है और वो मदद के लिए अनंत सिंह के पास जाता है तो वो गेहूँ,चावल का भी व्यवस्था करवा देते है।कहा जाता है कि पटना से सटा बाढ़ इलाका उस समय भी सबसे शांत इलाको में शुमार था जब पूरा बिहार अशांति की भेंट चढ़ चुका था।जब बिहार में लोग शाम को पाँच बजे के बाद निकलना बंद कर देते थे उस समय भी बाढ़ इलाके में लोग शाम को बिना किसी भय के घूमते थे क्यो की वो इलाका अनंत सिंह का था और वहाँ का पत्ता भी बिना छोटे सरकार के हुक्म के नही हिलता था।हत्याएं तो बाढ़ इलाके में भी हुई लेकिन केवल कुछ चुनिंदा लोगो की।

आप अनंत सिंह की धाक का अंदाजा सिर्फ इसी बात से लगा सकते है कि जब पूरे बिहार में लालू यादव,नीतीश कुमार और काँग्रेस मिल के चुनाव लड़ रहे थे उस समय भी वह जेल के अंदर रहते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा पहुँच गए।कभी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी रहे अनंत सिंह आज एके-47 रखने के आरोप में जेल में बंद है और इसी को ले के चर्चा में है।खैर जो भी हो लेकिन चुनाव परिणामो से ये तो तय हो जाता है कि आज भी उस क्षेत्र में छोटे सरकार का कोई तोड़ नही है।इस बार एक बार फिर वो मैदान में होंगे हालांकि ये अभी तय नही है कि वो निर्दलीय उम्मीदवार होंगे या फिर किसी राजनैतिक दल के तले चुनाव लड़ेंगे।

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