कब मिलेगा कांग्रेस को गैर गांधी अध्यक्ष?

 नमस्कार दोस्तों,काँग्रेस पार्टी,नेताओं द्वारा लिखी गयी चिट्ठी,काँग्रेस वर्किंग कमेटी(CWC) और कांग्रेस के कुछ बड़े नेता।इन सबका जिक्र पिछले 1-2 दिनों से काफ़ी तेज हो गया है।आज के वीडियो में इसी मुद्दे पर बात करेंगे।साथ ही बात करेंगे की कब से कांग्रेस पार्टी को गैर गाँधी अध्यक्ष नही मिला है और आगे क्या उम्मीद है?


फिलहाल तो कांग्रेस पार्टी ने अगले 6 महीने के लिए इस प्रश्न को एक तरह से खत्म ही कर दिया लेकिन फ़िर भी 6 महीने बाद क्या होने की उम्मीद है उसकी चर्चा आज से ही हो रही है।ये बात तो लगभग तय है की कांग्रेस की कमान संभालने वाला या तो राहुल और सोनिया का विश्वासपात्र होगा या फिर इनके अपने परिवार से होगा।कुछ ऐसे नाम जो गाँधी-नेहरू परिवार के बाहर से है और जो पिछले 2 दिन में काफ़ी तेजी से ऊपर आए उनमे से पहला नाम है-मुकुल वासनिक।आपको याद होगा जब 2019 में लोकसभा का चुनाव हारने के बाद राहुल गाँधी ने इस्तीफ़ा दिया तब भी मुकुल वासनिक का नाम अध्यक्ष पद के लिए सबसे अहम माना जा रहा था।इसके दो प्रमुख कारण है सबसे पहला यह की मुकुल वासनिक केंद्रीय मंत्री और लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता रह चुके है।मतलब  यह की राजनीति का अच्छा अनुभव है।दूसरा कारण यह की गाँधी-नेहरू परिवार के बेहद करीबी बताये जाते है।


दूसरा नाम है-एके एंटनी।वही एके एंटनी जो पूर्व में रक्षा मंत्री का दायित्व संभाल चुके है।साथ ही कांग्रेस में ऊपर से लेकर नीचे तक ख़ासी इज्जत भी है।इसके साथ ही एके एंटनी को सोनिया और राहुल के बेहद करीबियों में गिना जाता है।


तीसरा नाम है पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का।शायद और किसी भी नाम से ज़्यादा मनमोहन सिंह के नाम को स्वीकृति कांग्रेस पार्टी में मिलेगी।इसका सबसे बड़ा कारण है कांग्रेस पार्टी में इनकीं इज्जत और कद।शायद ही कोई इनके नेतृत्व पर सवाल उठाये।


इसके साथ ही अहमद पटेल,गुलाम नबी आजाद,कपिल सिब्बल के नाम की भी चर्चा है।वही कुछ नेता शशि थरूर और मनीष तिवारी पर भी विश्वास जताने को तैयार है।


इन सबके इत्तर प्रियंका गांधी की भी चर्चा जोरों पर थी हालाँकि उन्होंने खुद गैर गांधी अध्यक्ष वाला बयान देकर इस प्रश्न को ख़त्म कर दिया।पार्टी में वैसे नेताओ की भी कमी नही है जो राहुल गाँधी को दोबारा अध्यक्ष बनाने की पैरवी कर रहे है।


अब आप ये समझने की कोसिस कीजिये की गैर गांधी का मुद्दा इतना हावी क्यो है।आप एक नज़र 1998 से लेकर अब तक के कांग्रेस अध्यक्ष के नामो पर डालेंगे तो पाएंगे की 1998 से 2020 तक ये पद सिर्फ राहुल गांधी और सोनिया गाँधी के बीच में रहा है।यही कारण है की कांग्रेस के नेता अब शीर्ष नेतृत्व में बदलाव चाहते है।


वही कांग्रेस अपने अंदर के कलह को ही रोक पाने में असमर्थ दिख रही है।CWC यानी की कांग्रेस वर्किंग कमेटी के बैठक के पूर्व ही राहुल गांधी ने उन नेताओ पर भाजपा से मिले होने का आरोप लगाया जिन्होंने पत्र लिख कर अपना असंतोष व्यक्त किया था।इसके बाद कपिल सिब्बल ने भी ट्विटर के माध्यम से राहुल गांधी पर तंज कसा।हालाँकि अब सब कुछ ठीक होने की बात कहि जा रही है लेकिन एक बात तो साफ है की अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी के अंदर दो गुट हो चुका है।वही कांग्रेस से पंजाब और राजस्थान सहित अन्य मुख्यमंत्रीयो ने राहुल की पैरवी की है।


फिलहाल की स्थिति में सोशल मीडिया पर काफी तस्वीरें शेयर की जा रही है और साथ ही काफ़ी फनी टाइप के कैप्शन भी लिखे जा रहे है।खैर देखते है आगे क्या होता है।

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