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Showing posts from June, 2018

जम्मू-कश्मीर:भारत का एक विशेष राज्य

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जम्मू और कश्मीर यू तो कहने के लिए भारत का एक राज्य है,लेकिन अनुछेद 370 इसे विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता है।अब बात करते है इसे किस प्रकार की विशेष शक्ति प्रदान है।सबसे पहले बात करते है जम्मू और कश्मीर भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जिसका खुद का संविधान है।जो अपने संविधान के हिसाब से चलता है।उस राज्य का अपना एक अलग झंडा है।कूल मिलाकर देखा जाये तो वो भारत के कायदे और कानून से अलग है।बहुत दिनों तक वहाँ मुख्यमंत्री नही बल्कि प्रधानमंत्री चुने जाते थे।वह भारत का एक मात्र ऐसा राज्य है जहाँ हर 5 साल बाद नही बल्कि 6 साल बाद चुंनाव होते है।                       कश्मीर का प्राकृतिक सौंदर्य जम्मू और कश्मीर भारत के आजादी के समय भारत का अंग नही था।बाद में वहाँ के अंतिम राजा ने इस राज्य को भारत में विलय की मंजूरी दे दी।हालांकि कश्मीर की मुस्लिम आबादी का झुकाव पाकिस्तान के तरफ था लेकिन वहाँ के हिन्दू राजा हरी सिंह का झुकाव हिंदुस्तान के तरफ था।विलय के बाद 26 जनवरी 1957 से इसका अपना संविधान प्रभाव में आया। कश्मीर कभी अशोक के राज्य का अंग भी रहा है।लाहौर संधि के बाद अंग्रेजो ने महाराजा

Journey of Patliputra to Patna: History

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आज का पटना इतिहास में पाटलिपुत्र के नाम से दर्ज है।आज बात करेंगे उसी पटना यानी की पाटलिपुत्र के इतिहास की।हज़ारो साल पहले अजातशत्रु से शुरू होकर इसका इतिहास ना जाने किस-किस घटनाओं का साक्षी बना।अजातशत्रु बिम्बिसार का लड़का था।अजातशत्रु अपने समय का बहुत ही वीर और क्रूर राजा था।उसने अपने पिता बिम्बिसार को बंदी बना कर राज्य की सत्ता हासिल की।जब वह राजा बना तब उसका राज्य सिर्फ गंगा के एक तरफ ही था लेकिन उसने पास के अन्य राज्यो के ऊपर आक्रमण कर के अपने राज्य में मिलाना शुरू किया।धीरे-धीरे वह पूरे 36 राज्यो को जीत चूका था।उसने अपनी नई राजधानी गंगा किनारे पाटलिग्राम को बनाया जिसे नया नाम पाटलिपुत्र दिया गया।यही पाटलिपुत्र शहर आज पटना के नाम से अस्तित्व में है।जब मगध राज्य का बहुत विस्तार हुआ उसी समय पाटलिपुत्र शहर दुनिया का सबसे बड़ा शहर बन गया।अजातशत्रु हरियंक वंश के राजा था। इसके 47 साल बाद पाटलिपुत्र पर शिशुनाग वंश का राज्य हुआ जो करीब 70 साल तक चला।उसके बाद आया नंदवंश।नंदवंश के आखरी राजा का नाम धनानंद था और उस दौर में पाटलिपुत्र से समृद्ध शहर पूरी दुनिया में कोई नही था लेकिन धनानंद क

Aloe vera:Natural beauty Product:घृत कुमारी

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                         एलोवेरा का पौधा एलोवेरा या घृत कुमारी एक ऐसा नाम जिसका उपयोग आदि काल से सौन्दर्य प्रसाधन के रूप में होता आ रहा है।आज के समय में तो बहुत सारी ऐसी कंपनीया हमारे बीच में है जिनका करोड़ो का कारोबार एलोवेरा से ही चल रहा है।दरासल, इसका उपयोग त्वचा को स्वस्थ और युवा दिखाने के लिए किया जाता है।भारत में एलोवेरा आयुर्वेद की देन है।कहने का आशय है कि आयुर्वेद से ही हमें वो शक्ति मिली जिससे हम एलोवेरा के गुणों का पहचान कर पाये।खैर,हम बात एलोवेरा केऔषधीय गुणों की करते है।एलोवेरा एक ऐसा पौधा है जिसको आप त्वचा पे लगाने के साथ-साथ उसका सेवन भी कर सकते है।इसका उपयोग कई प्रकार की बीमारियों के ईलाज में भी किया जाता है। एलोवेरा की उत्पत्ति-ऐसा माना जाता है,एलोवेरा मुख्यतः उत्तरी अफ्रीका का पौधा है लेकिन समय के साथ-साथ आज यह पूरे विशव में एक समान पाया जाता है।भारत में एलोवेरा को सौन्दर्य कारोबार की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।त्वचा के साथ-साथ इसका उपयोग रक्त को साफ़ करने में भी किया जाता है।पुराने समय में इसका उपयोग घाव को जल्दी भरने में भी किया जाता है हाल

India:1947 to 2018

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Before freedom-" You give me blood I give you freedom" After freed om-" youngsters want Andro id not AK-47" ये दोनों बातें अपने आप में महत्वपूर्ण है क्यों की दोनों बातें अपने सदी के महान नेताओ ने कहाँ है।पहला वाक्य नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने कहां और दूसरा तो आपके दौर की बात है तो आपको मालुम भी होगा।खैर,मैं बता देता हूँ,ये वाक्य प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने कही थी।जब हम विकाश की बात करते है तो ये नारे ही हमें असली हकीकत से रूबरू करा देते है।अगर हम देश की असली हालात को समझना चाहते है तो पहले के नारों और आज के नारों को समझना होगा।पहले देश के नेताओ का या फिर कहे तो देश के अधिक्तर युवाओं का पूरा ध्यान देश की हालात पे होता था।देश गुलाम था इसके लिए युवाओं ने संघर्ष किया और आज हमारा देश आजाद है तो उसी संघर्ष के बदौलत।बात यहाँ हो रही है कि देश कितना बदला?देश पहले कहाँ था और आज कहाँ है?नीचे हम इन सारी बातों पे चर्चा करेंगे। सबसे पहले बात करते है,देश की तब क्या स्थिति थी और आज क्या है?भारत उस समय बहुत ही पिछड़े देशों की सूचि में आता था।भारत की आर्थिक स्थिति बहुत ही कमज़ोर

Relation between Tourism and politics of our country🇮🇳

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अपने देश की एक खासियत तो है चाहे आप किसी भी क्षेत्र की बात कर ले लेकिन राजनीति में वो ताकत है कि वो सीधे तौर पे किसी को चुनौती दे सकता है।आप बात को समझे नही होंगे इसलिए आपको बताना चाहूँगा की पर्यटन को भी राजनीति सीधे प्रभावित कर देती है,आपके मन में सवाल भी उठ रहा होगा की कैसे?तो आपको याद होगा कुछ दिन पहले एक लड़का कश्मीर घूमने गया था।वो तो कश्मीर की खूबसूरती का आनंद उठाने गया था लेकिन उसे क्या पता की उस कश्मीर के अलगावादी राजनीति के कारण उसकी जान चली जायेगी।हाँ, ये बात सही है कि उसकी जान वहाँ की राजनीति ने ली।पत्थरबाजों ने घायल कर के उसे मार डाला।अब सवाल उठता है कि इसमें राजनीति कहाँ से आयी,तो इसका जबाब है कि जहाँ से पत्थरबाजो को पत्थर मारने के लिए पैसे मिले,जहाँ से उन्हें उकसाया गया राजनीति वहाँ से आयी।अलगावादी नेता अपनी राजनीति को खत्म होते नही देख सकते और यही कारण है कि अब वी इतनी नीच हरकत में उतर आये है। अगर यह घटना किसी दूसरे राज्य की होती तो कुछ ज़्यादा फर्क नही पड़ता लेकिन कश्मीर में उसका असर देखने को मिल रहा है क्यों की कश्मीर की अधिकतर जनता पर्यटकों पर ही निर्भर है।कश्मीरी इन

New style of business in India:Patanjali

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आज अगर भारत के अंदर बिज़नेस की बात हो और बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि की बात ना हो तो ये बेमानी ही होगी।आज बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों को पतंजलि भारतीय बाजार में पीछे छोड़ चुकी है।पतंजलि की इयरली ग्रोथ रेट बाकी अन्य कंपनीयो के मुकाबले काफी ज्यादा है मतलब ये की अन्य कोई कंपनी इसके आस-पास भी नज़र नही आती है।अब पतंजलि इतनी तेजी से आगे बढ़ा कैसे?बाबा रामदेव और पतंजलि के सीईओ ने आखिर ऐसी कौन सी रणनीति अपनाई जिसके दम पे इतने कम समय में पतंजलि देश में छा गयी,इन सारी बातों पे आगे बात करेंगे।अभी कुछ महीने पहले बाबा रामदेव नेपाल गये थे।नेपाल सरकार के तरफ से भव्य स्वागत हुआ।उनके साथ कंपनी के सीईओ बाल कृष्ण आचार्य जी भी थे।दो-तीन दिन बाद जब मैं न्यूज़ देख रहा था तो मुझे पता चला की पतंजलि नेपाल में इन्वेस्ट करने जा रही।मतलब साफ था पतंजलि भी मल्टीनेशनल कंपनी बनने के कतार में खड़ी हो गयी।फिलहाल पतंजलि भारत से ही अपने प्रोडक्ट का निर्यात नेपाल,श्री लंका,भूटान,चीन,सिंगापुर जैसे देशों में करती है।इन देशों में पतंजलि के उत्पादों की अच्छी माँग है।यानी की पतंजलि विदेशों में भी धीरे-धीरे पैर पसार रही है।

Youngsters vs Young Society

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बात भारत की ही करते है,क्यों की जब तक हम अपनी बात नही करेंगे तब,तक दूसरे को समझ ही नही पाएंगे।कुछ दिन पहले की ही बात है दोस्तों के साथ मैं बाहर घूम रहा था।अचानक से एक लड़की आती है और उसने शायद पास में कोई दूकान होगा उसके बारे में हमारे ग्रुप के ही एक लड़के से पूछा।लड़के ने उसे दुकान तो बता दिया लेकिन अभी वो चार कदम ही गयी होगी की लड़के ने हमलोगों से कहां "क्या गज़ब की चीज़ है"?मैंने भी तुरंत मुड़ के लड़की को देखना चाहा लेकिन तब तक लड़की कुछ आगे जा चुकी थी और मुझे वो ठीक से नही दिखी।मैंने भी अपने दोस्त के हाँ में हाँ मिलाया।उसके बारे में और भी बाते हुई।खैर ये तो आज के लिए या फिर कहे तो आज के युवा समाज के लिए कोई नई बात नही है,लेकिन कुछ समय बाद मुझे ऐसा लगा की हमें ऐसी बाते नही करनी चाहिए थी।   अब बात दूसरे दिन की करते है।उस दिन भी मैं तीन-चार दोस्तों के साथ था।कई सारी लडकिया सड़क पे आ-जा रही थी उसी में से एक लड़की को देख के मेरे एक दोस्त ने मुझसे पूछा क्या इसे जानते हो..?मेरा जबाब "ना"में था।फिर तो उसने उसके बारे में बहुत सारी बाते बताया।कुछ बाते गलत भी थी जो किसी भी

गोरखनाथ मंदिर-नाथ संप्रदाय का सबसे बड़ा मठ

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गुरु  गोरक्षनाथ और गोरखपुर मंदिर-गुरु गोरक्षनाथ को भगवान शिव का अवतार माना जाता है।गोरखपुर मंदिर पुरे संसार में भगवान शिव के भक्तो के बीच काफी लोकप्रिय है।इस मंदिर में नेपाल तथा अन्य कई और दूसरे देशों से भक्त आते है।इस मंदिर का इतिहास बहुत ही पुराना है।    माना जाता है कि गोरखपुर एक वन क्षेत्र था जिसे गुरु गोरक्षनाथ ने अपनी तपोभूमि बनाई और यही से पूरे विशव में नाथ संप्रदाय का डंका बजवाया।कहां जाता है कि नाथ संप्रदाय के अनुयायी कई छोटे-छोटे संप्रदायों में टूट गए थे जिसे फिर से गुरु गोरक्षनाथ ने एक साथ ला के खड़ा किया।नाथ संप्रदाय के सैकड़ो मठ देश और विदेश में स्थित है तथा गोरखनाथ मंदिर इन सभी मठों का केंद्र है। गोरखनाथ मंदिर खिचड़ी मेले के दौरान खिचड़ी का मेला-गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी के मेले का अपना अलग महत्व है।खिचड़ी के समय यहां पुरे एक महीने तक मेला लगा रहता है।देश के कोने-कोने से श्रद्धालु खिचड़ी चढाने के लिए गोरखपुर आते है।भक्तो का मानना है कि खिचड़ी चढ़ाने से पुण्य मिलता है और कष्ठ से छुटकारा।इस मेले को देखने के लिये केवल देश से ही नही अपितु विदेशों से भी भक्त आते है।खासक

राजनीति जानना ज़रूरी क्यों है..?

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राजनीति- एक ऐसा शब्द जिसके बारे में सुनते ही लोग बोल देते है कि मुझे राजनीति से कुछ लेना देना नही,लेकिन उन सभी लोगो को ये समझ लेना चाहिये की देश का भविष्य या उस देश के नागरिकों का भविष्य देश की राजनीति ही तय करती है।देश की राजनीति ही तय करती है कि देश किस दिशा में आगे बढ़ेगा,आगे इसका क्या भविष्य होगा,इस देश के निवासियों का भविष्य क्या होगा ये सारी बाते किसी भी देश की राजनीति ही तय करती है । राष्ट ्रनीति और राज नीति- जब राष्ट्रनीति और राजनीति को एक साथ जोड़ दिया जाता है तब किसी भी देश के लिए एक खतरनाक स्थिति पैदा हो जाती है मेरे कहने का तात्पर्य है कि राजनीति चाहे जैसी भी वो लेकिन देश की जो राष्ट्रनीति होती है उसे राजनीति से दूर रखना चाहिए।जिस दिन राजनीतिक फायदे के लिए राष्ट ्रीय मूल्यो के साथ समझौता किया जाने लगेगा उस दिन से ही उस देश का पतन शुरू हो जायेगा। भा रतीय राजनीति पे मेरे अपने विचार-भारत एक बहुत बड़ा देश है और जनसँख्या की बात करे तो ये भारत के लिए खुद एक समस्या बन गया है।अब जब हमें ये पता है कि बढ़ती जनसंख्या हमारे लिए खतरा है तो फिर भारत की सरकार चीन के तर्ज पे कानून क्