Youngsters vs Young Society
बात भारत की ही करते है,क्यों की जब तक हम अपनी बात नही करेंगे तब,तक दूसरे को समझ ही नही पाएंगे।कुछ दिन पहले की ही बात है दोस्तों के साथ मैं बाहर घूम रहा था।अचानक से एक लड़की आती है और उसने शायद पास में कोई दूकान होगा उसके बारे में हमारे ग्रुप के ही एक लड़के से पूछा।लड़के ने उसे दुकान तो बता दिया लेकिन अभी वो चार कदम ही गयी होगी की लड़के ने हमलोगों से कहां "क्या गज़ब की चीज़ है"?मैंने भी तुरंत मुड़ के लड़की को देखना चाहा लेकिन तब तक लड़की कुछ आगे जा चुकी थी और मुझे वो ठीक से नही दिखी।मैंने भी अपने दोस्त के हाँ में हाँ मिलाया।उसके बारे में और भी बाते हुई।खैर ये तो आज के लिए या फिर कहे तो आज के युवा समाज के लिए कोई नई बात नही है,लेकिन कुछ समय बाद मुझे ऐसा लगा की हमें ऐसी बाते नही करनी चाहिए थी।
अब बात दूसरे दिन की करते है।उस दिन भी मैं तीन-चार दोस्तों के साथ था।कई सारी लडकिया सड़क पे आ-जा रही थी उसी में से एक लड़की को देख के मेरे एक दोस्त ने मुझसे पूछा क्या इसे जानते हो..?मेरा जबाब "ना"में था।फिर तो उसने उसके बारे में बहुत सारी बाते बताया।कुछ बाते गलत भी थी जो किसी भी लड़की के लिए अच्छी नही हो सकती।मैं उसके बारे में ना जानते हुए भी बोला की देख के ही ऐसी लगती है।कुछ देर बाद यानी की दोस्तों के जाने के बाद मुझे फिर एहसास हुआ की हमें ऐसी बाते नही करनी चाहिए थी।
ख़ैर ये सब बाते केवल सोचने के लिए है जिसका ज़िन्दगी में कोई मोल नही है।आप भी दोस्तों के साथ घूमते होंगे।आप भी ज़रूर ऐसी बाते करते होंगे क्यों की आज के समय में बिना इन सब बातों के दोस्ती हो ही नही सकती।वैसे इसमें कुछ बुरा नही है क्यों की ये सारी बाते केवल दोस्तों के बीच की गयी एक मस्ती होती है,लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिरकार हम ना जानते हुए भी किसी के बारे में गलत कैसे बोल सकते है?वैसे एक बात तो आपको भी पता होगा की आज के समय में इस प्रकार की बाते केवल लड़के नही करते बल्कि लड़किया भी लड़को के सन्दर्भ में करती है।जिसे हमारे समाज ने नाम दे रखा है की लड़कियो को "ओपन माइंडेड" होना चाहिये।सवाल ये है कि यह किस प्रकार की "ओपन माइंडेड" होने की बात हम कर रहे है जिसमे अपनी संस्कृति ही खत्म हो जाये?लड़कियो को भी अपना हक़ ज़रूर लेना चाहिए लेकिन शराब पीकर डांस करने के लिए नही,लड़को के तरह सिगरेट पिने के लिए नही बल्कि लड़को के तरह पढ़ाई में बराबरी के लिए,उनके तरह नौकरी में।
नारी सुरक्षा की बात तो बहुत होती है,फिर उसपे काम कितना होता है?ये एक बड़ा सवाल है लेकिन उससे भी बड़ा सवाल है कि किससे नारी की सुरक्षा की बात की जाती है।नारी को खतरा है तो हमारे आज के समाज से,आज के सोच से,आज के युवा से।सारे लोग ऐसे नही है लेकिन फिर भी जो भी है वो इसी समाज के है ये बात तो पक्की है।
सुरक्षा के लिए "हेल्प लाइन" नंबर भी आ गया।आपको भी कभी ज़रूरत पड़े तो ज़रूर उपयोग करे शायद आपकी समस्या का समाधान हो जाये।भारत में अधिकतर जनसँख्या युवाओं की है जिसका साफ़ मतलब है कि समाज का निर्माण हमसे ही होना है अब ये हमें तय करना होगा की आने वाली पीढ़ी को क्या देना चाहते है?
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