Posts

Showing posts from 2020

कब मिलेगा कांग्रेस को गैर गांधी अध्यक्ष?

 नमस्कार दोस्तों,काँग्रेस पार्टी,नेताओं द्वारा लिखी गयी चिट्ठी,काँग्रेस वर्किंग कमेटी(CWC) और कांग्रेस के कुछ बड़े नेता।इन सबका जिक्र पिछले 1-2 दिनों से काफ़ी तेज हो गया है।आज के वीडियो में इसी मुद्दे पर बात करेंगे।साथ ही बात करेंगे की कब से कांग्रेस पार्टी को गैर गाँधी अध्यक्ष नही मिला है और आगे क्या उम्मीद है? फिलहाल तो कांग्रेस पार्टी ने अगले 6 महीने के लिए इस प्रश्न को एक तरह से खत्म ही कर दिया लेकिन फ़िर भी 6 महीने बाद क्या होने की उम्मीद है उसकी चर्चा आज से ही हो रही है।ये बात तो लगभग तय है की कांग्रेस की कमान संभालने वाला या तो राहुल और सोनिया का विश्वासपात्र होगा या फिर इनके अपने परिवार से होगा।कुछ ऐसे नाम जो गाँधी-नेहरू परिवार के बाहर से है और जो पिछले 2 दिन में काफ़ी तेजी से ऊपर आए उनमे से पहला नाम है-मुकुल वासनिक।आपको याद होगा जब 2019 में लोकसभा का चुनाव हारने के बाद राहुल गाँधी ने इस्तीफ़ा दिया तब भी मुकुल वासनिक का नाम अध्यक्ष पद के लिए सबसे अहम माना जा रहा था।इसके दो प्रमुख कारण है सबसे पहला यह की मुकुल वासनिक केंद्रीय मंत्री और लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता रह चुके है

पेंटिंग,रिया और सुशान्त!आख़िर रिश्ता क्या है?

Image
क्या किसी एक तस्वीर से किसी का हाव भाव बदल सकता है?रिया चक्रवर्ती के अनुसार सुशांत मानशिक रूप से बीमार थे।रिया ने पूछताछ में बताया है की जब वे सुशांत के साथ इटली टूर पर गयी थी तो वहाँ वे एक पुराने होटल में रुके थे।होटल करीब 600 साल पुराना है।होटल इटली के फ्लोरेंस शहर में स्थित है।रिया ने बताया की सुशान्त के आलावा इस ट्रिप पर उनके साथ शोविक भी था।रिया ने बताया है की होटल के दीवार पर एक तस्वीर लगी हुई थी।तस्वीर में कोई राक्षस अपने ही बच्चे को खाता दिख रहा है।रिया के अनुसार जब सुशान्त ने इस तस्वीर को देखा तो वे थोड़ा असहज हो गए।रिया अपने भाई शोविक के कमरे में गयी थी और जब वो वापस आयी तो सुशान्त को देख कर चौक गयी।सुशान्त हाथों में रुद्राक्ष की माला लिए कुछ मंत्र पढ़ रहे थे।रिया के अनुसार इसने सुशान्त को इस दिन से पहले कभी भी इस रूप में नही देखा था।उसने सुशान्त से इसके बारे में पूछा तो सुशान्त ने बताया की वो इस पेंटिंग के असली कैरेक्टर्स को देख पा रहे है।सुशान्त को पेंटिंग्स से जुड़ी अजीबोगरीब चीजे दिखाई देने लगी थी हालाँकि रिया ने सुशान्त से कहा की ये सिर्फ इनका भ्रम है।उस रात को

13 साल की मासूम ने क्या बिगाड़ा था?

Image
 वो अभी 13 साल की थी।उसने तो अब ज़िन्दगी को समझना शुरू किया था और उसके साथ जो कुछ हुआ शायद उसे पता भी नही होगा की इस दुनिया में ऐसा भी कुछ होता है।वो तो ये समझ भी नही पा रही होगी की ये सब कुछ उसके साथ क्यो हो रहा है?आख़िर किसी का क्या बिगाड़ सकती है एक 13 साल की मासूम लड़की? आज सवाल आप खुद से पूछिये?आज सवाल पूरा समाज खुद से पूछे?आज हम भी सवाल अपने आप से पूछेंगे!क्या कभी ऐसा दिन आएगा जब हमारी बहन-बेटियां अमेरिका के तरह रात को अकेले रेस्टोरेंट में खाना खाने चली जाए?अजी छोड़िये भाई साहब ये कैसा बेहूदा सवाल है?यहाँ हम दिन में सुरक्षा की गारंटी नही दे रहे है और आप रात की बात कर रहे है! आज सवाल बुलंदशहर के डीएम साहब से भी रहेगा।डीएम साहब अब आप ये बताइयेगा की हम कैसे मान ले की सुदीक्षा के साथ उस दिन छेड़छाड़ नही हुई थी?जब छोटी सी मासूम बच्ची को लोग नही छोड़ रहे है तो फ़िर सुदीक्षा को ये लोग क्यो छोड़ देंगे? अब आप एक बार वो समय याद कीजिये जब रेप को लेकर देश में नई कानून लागू हुई थी।जिसमे फाँसी तक की सज़ा का प्रावधान है।जब यह कानून बनाया गया तब हमारी सरकारों ने तमाम तरह की बाते कही लेकिन अफ़सोस है की वो सि

गाँव से ही बनेगा भारत आत्मनिर्भर

अब शहर से गाँव की तरफ चल ही दिए है तो अपने मन में ये ठान लीजिए कि जो सेठ लोग शहर में बड़ी-बड़ी फैक्टरियों के मालिक बन कर बैठे है उनको गाँव मे निवेश के लिए मजबूर करना है।हमे पता है कि ये काम इतना आसान नही है लेकिन नामुमकिन भी नही है।किसी भी फैक्ट्री को चलाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण योगदान होता है सस्ता लेबर का औऱ जब आप वापस से बड़े शहरों का रुख नही करेंगे तो गाँव के बारे में सोचना उनकी मजबूरी हो जाएगी।आपका काम गाँव में मेहनत करने से भी चल जाएगा।भले आधुनिक उपभोग की वस्तुओं के खरीदने भर की कमाई ना हो लेकिन आप भूखे भी नही मरेंगे।आज भी आप शहर से बस इसी लिए तो भाग रहे है क्यो की आपको पता है चाहे कुछ भी हो जाये लेकिन गाँव आपको भुखमरी से बचा लेगा।आज गाँव मे 'हल्दीराम' और 'बिकानो' कि नमकीन मिल रही है लेकिन जब हम छोटे थे तब 'राजा' और 'अनमोल' जैसे लोकल ब्रांड्स की नमकीन खाते थे।ये जो 'राजा' और 'अनमोल' के नमकीन थे,ये गाँव के आत्मनिर्भर होने की कहानी कहते थे क्योकि इनकी पैकिंग से लेकर बनाने तक का काम लोकल बाजार में होता था और जब लोकल मार्केट में कोई उद्य

भारत और नेपाल

Image
नेपाल और भारत के बीच जो कुछ चल रहा है वो बस एक प्रयोजित योजना है।आप बस सोशल मीडिया पर अपने संयम को बरकरार रखे।ग़ुस्से में कुछ भी गलत ना लिखे जिससे नेपालियों को तकलीफ़ हो क्यो की ये सिर्फ और सिर्फ कम्युनिस्टों द्वारा तय प्रोपेगेंडा का एक हिस्सा है।नेपाल कभी हमसे अलग था ही नही ना अब है।नेपाल और नेपाल के लोग हमेशा से हमारे अपने थे और अपने ही रहेंगे।हमारे देश की सुरक्षा से लेकर ना जाने हमारे कितने सांस्कृतिक विरासत का नेपाल सदियों से संरक्षण करता रहा है।आप नेपाल के प्रधानमंत्री पर गौर करिए।वे वही शर्मा जी है जो वामपंथ का झण्डा ले कर पूरे नेपाल को अपने पैरों तले रौंदते फिरते है और वामपंथ चाहें अपनो का सगा हो या ना हो लेकिन चीन का सगा ज़रूर रहता है।आप इन्तेजार कीजिये नेपाल में सरकार परिवर्तन का।आप इन्तेजार कीजिये नेपाल में किसी दक्षिणपंथी पार्टी के सत्ता में आने का औऱ अगर नेपाल पर ज़्यादा गुस्सा आ रहा हो तो गोरखा की कुर्बानियों को गूगल पर जा के पढ़ लीजिए आपका गुस्सा शांत हो जाएगा। आप याद रखिये की ये वही केपी ओली शर्मा है जो नेपाल के हिन्दू राष्ट्र वाले सवाल पर ऐसे मुँह बनाते है जैसे किसी ने

डार्क हॉर्स-एक अनकही दास्तां/पुस्तक समीक्षा

Image
            "पुस्तक समीक्षा" 'डार्क हॉर्स-एक अनकही दास्तां' लेखक-नीलोत्पल मृणाल पुरुस्कार-साहित्य अकादमी युवा पुरुस्कार दैनिक जागरण-नील्सन बुक्सकैन बेस्ट सेलर्स-(फिक्शन)2019,जुलाई-सिंतबर मोहित कुमार सिंह 8 अप्रैल 2020 ये पुस्तक हिंदी पट्टी के छात्रों को बेहद पसंद आ सकती है क्यो की इसमें विशेष रूप से इनके संघर्ष की दास्तां सुनाई गई है।अगर आप सत्य व्यास के उपन्यासों से परिचित है तो पात्रों की भाषा वही है।लेखक ने पुस्तक में मुखर्जी नगर के छात्र जीवन को हूबहू उतारने का प्रयास किया है और काफी हद तक सफल भी रहा है।अगर आप दिल्ली दरबार,बनारस टॉकीज,बागी बलिया जैसे उपन्यासों को पढ़ चुके है तो आपको ज़्यादा कुछ नया नही लगने वाला है।हालांकि लोक सेवा आयोग के परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के दिल को छू लेने में सफल हो सकता है। ये पुस्तक बिहार के भागलपुर से शुरू होकर दिल्ली के मुखर्जी नगर में पहुँचती है।उपन्यास के सारे पात्र पूर्वांचल के ही है इसीलिए इसकी भाषा काफ़ी हद तक बनारस के ठेठपन और अखड़पन का एहसास कराती है।'इ रयवा को क्या हो गया अचानक।अभी तो परमा

कोरोना-:एक वैश्विक लड़ाई।

Image
कोविड 19-:एक वैश्विक लड़ाई। परिचय-: कोविड-19 को आप कोरोना वायरस परिवार का सबसे नया सदस्य भी कह सकते है।कोविड 19 कोरोना परिवार से आने वाले तमाम वायरसो में अब तक का सबसे शक्तिशाली वायरस है।कोविड अँग्रेजी भाषा का एक शब्द है जिसका पूरा मतलब होता है 'Corona Viruses Disease'।यह वायरस सबसे पहले 2019 में पाया गया था इसीलिए इसके नाम के आगे 19 लगा दिया जाता है और इसे हम कोविड-19 लिखते है।कोरोना कोई एक बीमारी का नाम नही बल्कि हर एक उस बीमारी को हम कोरोना बोलते है जो पक्षियों के द्वारा मनुष्य के शरीर में आता है।कोविड-19 को लेकर भी ये अंदेशा जताया जा रहा है कि यह चमगादड़ों से निकल कर इंसानों तक फैला है।कोविड-19 वायरस सबसे पहले दिसंबर महीने में चीन के वुहान शहर में पाया गया था,हालांकि कुछ रिपोर्ट्स का ये भी कहना है कि इस वायरस की पहचान नवंबर महीने में ही कर ली गयी थी।देखते ही देखते यह वायरस वुहान से निकल कर पूरी दुनिया मे फैल गया। क्या है कोविड-19 के लक्षण-: सुखी खाँसी,बुखार,छींक का आना और साँस लेने में दिक्कत का होना इसके मुख्य लक्षण है।हालांकि कई बार ये देखा गया है कि इसके लक्षण

हनी सिंह....यो-यो हनी सिंह

Image
हिरदेश सिंह....हनी सिंह.... यो-यो हनी सिंह।एक समय था जब बिना हनी के गानों के बॉलीवुड की फिल्में मानो अधूरी सी रहती थी।मैं पाँचवी-छठवी कक्षा में पढ़ता था जब हर एक गली में 2-4 लड़के हनी सिंह का हेयर स्टाइल कॉपी कर खुद को मुहल्ले का हनी सिंह घोषित कर देते थे।वैसे ये नाम उन्हें खुद से नही बल्कि मुहल्ले के लोग ही दे देते थे।दरअसल वो हेयर स्टाइल ही हनी सिंह के नाम से जाना जाता था।लोकप्रियता तो इस कदर थी कि चाहे कोई गाने सुने या ना सुने लेकिन ज्यादे स्टाइल मारने वाले लड़के को एक बार हनी सिंह ज़रूर बुला देता था।उस समय मोबाइल के प्लेलिस्ट में 'ब्लू आईस' से लेकर 'डोप-शोप' और 'ब्रेकअप पार्टी' सबसे पहले होते थे।युवा अब अजय देवगन के बड़े-बड़े बालो को पीछे छोड़कर हनी के साथ आगे बढ़ रहे थे।हम सब 'ब्राउन रंग' को अपना रंग समझ ही रहे थे कि 'लुंगी डाँस' ने सबको नचा दिया।'चार बोतल वोडका' का नशा अभी उतरा भी नही था कि 'वन बोतल डाउन' ने अपने गिरफ्त में ले लिया।कभी 'सुपर मैन' बन के नचाता रहा तो कभी 'देसी कलाकार'।अचानक 'धीरे-धीरे' हनी गाय

दिखावा

Image
आज मैं शहर के सबसे महँगे होटल में खाने गया था ये तो ठीक है लेकिन खाना रखे प्लेटो का फ़ोटो अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स पे शेयर कर के मैं क्या दिखाना चाहता हूँ!अपनी अवकात.... हाँ मुझे तो यही लगता है।मैंने भी कई बार ऐसा किया है लेकिन अधिकत्तर समय मैं पूरी कोशिश करता हूँ कि ऐसा ना करू।इसके बावजूद भी कई बार ये काम ना चाहते हुए करना पड़ता है।मानो ऐसा लगता है जैसे जब तक मेरे दोस्त,रिश्तेदार या फिर कोई और करीबी इसे नही देख लेगा तब तक खाना पचेगा ही नही।मैंने किसी किताब में पढ़ा था जिसमे लेखक कटाक्ष करते हुए कहता है कि 'लोग आज-कल फ़ोटो खिंचाने भी जाते है तो इत्र लगा कर जाते है मानो फ़ोटो में खुशबू आ जायेगी'। अभी मैंने कुछ दिन पहले किसी संस्था द्वारा किया गया एक सर्वे पढ़ा था जिसमे लिखा था कि अधिकत्तर भारतीय घूमने की चाहत से दूसरे जगह पे नही जाते बल्कि ये इसे अपने सामाजिक स्टेट्स को बढाने का तरीका समझते है।हो सकता है की आप इस अधिकत्तर की श्रेणी में ना आते हो लेकिन वो लोग भी तो आपके आस-पास ही मौजूद है जो इस श्रेणी में आते है। मेरा मतलब केवल इतना है कि हम दिखावे की संस्कृति को कब तक ढोते रहे

धोनी...माही....

Image
धोनी...महेंद्र सिंह धोनी...नाम सुन के क्रिकेट प्रेमियों के दिलो की धड़कनें तेज हो जाती है।धोनी उस हीरे का नाम है जिसने टीम इंडिया को क्रिकेट जगत के सिरमौर के रूप में स्थापित किया।1983 के बाद जब वर्ल्ड कप जितने की उम्मीद समय के साथ धुँधली होती जा रही थी तब टीम इंडिया को वर्ल्ड चैंपियन बनाने वाला है धोनी।अपने कप्तानी में टीम इंडिया को क्रिकेट जगत के हर प्रारूप का बाहुबली बनाने वाला है धोनी।मैच जितने की उम्मीद है धोनी।हार के मुँह से निकाल कर टीम को जीत दिलाने वाला सुपरमैन है धोनी। अब हर जगह यही चर्चा है कि धोनी बहुत जल्द अंतराष्ट्रीय क्रिकेट के हर प्रारूप से सन्यास लेने वाला है।सालों बाद पहली बार टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एकदिवसीय मैच खेलने मैदान पे धोनी के बिना उतरेगी।शायद अब धोनी सीधे आईपीएल में ही मैदान पे दिखे।दिल की बात बोलू तो धोनी को कप्तान के रूप में देखने की आदत बन गयी थी।ऐसा नही है कि विराट अच्छा नही खेलता या फिर वो पसंद नही लेकिन दिल कप्तान के रूप में धोनी को छोड़ के किसी और को देखने के लिए तैयार ही नही होता।विराट को देख के दिल कभी वो जुड़ाव ही महसूस नही करता जो धोनी के

प्रधान जी

कहानी पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव से होकर गुजरती है।उसी छोटे से गाँव के रहने वाले थे प्रधान जी।अरे नही-नही प्रधान जी उनका नाम नही था बल्कि उनका पद था।आमतौर पे हमारे पूर्वांचल के गाँव मे बसने वाले लोग एक-दूसरे को उनके नाम से नही बल्कि उनके काम से जानते है और इसी के कारण कोई सिपाही जी तो कोई मास्टर साहब तो कोई जीवन भर प्रधान जी बन जाता है।प्रधान जी की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है।हमारे प्रधान जी बचपन से ही नेता बनने का शौक रखते थे।ऐसा नही है कि केवल शौक रखते थे बल्कि छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय भी थे।ज्ञान का तो पूछिये मत किसी विषय पे बोलना शुरू कर देते थे तो बड़े-बड़े वक्ता भी उनके सामने पानी भरते नज़र आते थे।डरना तो जैसे उन्होंने कभी सीखा ही नही।छात्र जीवन में ही इलाके के अच्छे-अच्छे बदमाशों से चार-चार हाथ कर चुके थे और अब तो इलाके भर के बदमाश भी उन्हें प्रधान जी कहकर संबोधित करते थे।गाँव मे प्रधान जी के पास अच्छी-खासी खेती थी औऱ फिलहाल यही उनके रोजमर्रा के खर्चो को चलाने वाला एकमात्र साधन भी था। प्रधान जी घर-गृहस्थी वाले व्यक्ति थे।दो बेटों औऱ एक बेटी के साथ-साथ  उनकी पत्

बिहार चुनाव और अनंत सिंह!

Image
बिहार में फिर बहार आने वाला है।मेरा मतलब चुनाव आने वाला है और इसी बहार में हर बार की भाँति बिहार का बहुत ही चर्चित चेहरा रहने वाला है अनंत सिंह।अब बाहुबली बनना आसान है लेकिन इसके दम पे विधायक या फिर सांसद बन जाना ये मुझे थोड़ा अटपटा लगता है।आप खुद सोचिये कोई गुंडा 1 या 2 गाँव को डरा सकता है लेकिन पूरे विधानसभा को या फिर लोकसभा को डरा के वोट लेना इतना आसान नही है वो भी आज के दौर में।मेरे कहने का मतलब है कि उसमें कुछ अच्छाई और बुराई दोनों होती है जो उसे दुनिया की नजर में बाहुबली तो अपने क्षेत्र में जनता का प्रिय बनाती है। मैं आज बाहुबली विधायक अनंत सिंह की बात करूँगा।एक दिन मैं लल्लनटॉप के यूट्यूब चैनल पे अपलोड एक वीडियो देख रहा था उसमें बाढ़ इलाके के किसी गाँव मे लोगों से बात कर रहे थे लल्लनटॉप वाले द्विवेदी जी।आपको बताते चले कि अनंत सिंह बिहार में छोटे सरकार के नाम से भी जाने जाते है।लोग कह रहे थे कि छोटे सरकार के यहाँ चाहे आप किसी भी समस्या के निवारण के लिए जाए वहाँ से खाली हाथ नही लौटना पड़ता।उनको जो भी कहना होता है मुँह पे बोल देते है कि काम होगा या नही।जनता को दौड़ा के परेशान करने